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उत्तराखंड

चार धामों के कपाट बंद होने की तिथि हुई घोषित

देहरादून। विजयदशमी के पावन पर्व पर शीतकाल के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की तिथि घोषित की गई। अन्नकूट पर्व पर 26 अक्तूबर को गंगोत्री, भैयादूज पर यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे। 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे। श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल हरीश सेमवाल ने बताया कि बुधवार को पंचांग देखकर शीतकाल के लिए होने वाली कपाटबंदी का समय तय किया गया। उन्होंने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्तूबर को अन्नकूट पर्व पर 12.01 मिनट पर बंद किए जाएंगे। धाम से मां गंगा की उत्सव डोली यात्रा 12.05 बजे शीतकालीन पड़ाव मुखबा (मुखीमठ) के लिए रवाना होगी जो कि एक दिन लंका स्थित भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन मुखबा पहुंचेगी।
यमुनोत्री पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि धाम के कपाट 27 अक्तूबर को भैया दूज पर 12.09 बजे सर्व सिद्धि योग और अभिजीत मुहूर्त में बंद किए जाएंगे। मां यमुना की डोली अपने शीतकालीन पड़ाव खरसाली के लिए प्रस्थान करेगी। बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा की। इस दौरान आगामी वर्ष की तीर्थयात्रा के संचालन के लिए बदरीनाथ में बारीदार (हक-हकूकधारी) को पगड़ी भी भेंट की गई। ये बारीदार आगामी वर्ष की बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा में भंडार से लेकर भोग तक की जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे। केदारनाथ मंदिर के कपाट 27 अक्तूबर को भैयादूज पर बंद किए जाएंगे। इसी दिन बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 28 को गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर में रात्रि प्रवास करेगी। 29 को बाबा केदार ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होंगे। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि इस वर्ष बदरीनाथ धाम के कपाट मीन लग्न में 19 नवंबर को अपराह्न 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। 20 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, कुबेर और उद्धव की उत्सव डोली धाम से अपने शीतकालीन प्रवास स्थल पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी।
पंचकेदार में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट सात नवंबर और द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट 18 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके बाद आराध्य की शीतकालीन पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में होगी।

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