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उत्तराखंड

टीएचडीसी ने विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के मुख्य बांध पर कंक्रीट कार्य शुरू किया

ऋषिकेश। देश की जलविद्युत क्षमताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, आर. के. विश्नोई ने 444 मेगावाट की विष्णुगाड पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के निर्माण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा की। 18 जनवरी, 2024 को मुख्य बांध के ब्लॉक नंबर 1 में कंक्रीट का काम शुरू होने से परियोजना के विकास में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
इसके अलावा, श्री विश्नोई ने हिमालयी जलविद्युत क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की उल्लेखनीय उपलब्धि के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि 17 जनवरी, 2024 को, नवीनतम डबल शील्ड तकनीक से लैस इस टीबीएम ने 9.86 मीटर व्यास वाली हेड रेस टनल (एचआरटी) के 24 मीटर भाग का निर्माण किया, जिसने एक ही दिन में खोदी गई सबसे अधिक व्यास वाली टीबीएम सुरंग का रिकॉर्ड बनाया। भारत के हिमालयी भूविज्ञान में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो न केवल टीएचडीसी को प्रगति के पथ पर अग्रसर करती है बल्कि राष्ट्र को गौरव भी दिलाती है। यह उपलब्धि जिसमें लाइनिंग का संस्थापन, पी ग्रैवेल की फिलिंग एवं ग्राउटिंग शामिल है, टीएचडीसीआईएल और एचसीसी की विशेषज्ञ टीमों की देखरेख में प्राप्त हुई है। कुल 11.7 किलोमीटर एचआरटी में से 550 मीटर से अधिक का निर्माण पिछले 2 महीनों में टीबीएम के माध्यम से किया गया है।
श्री विश्नोई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस उपलब्धि को संबोधित करते हुए वीपीएचईपी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके समर्पित प्रयासों के लिए हार्दिक बधाई दी। उन्होंने चुनौतियों पर काबू पाने में परियोजना टीम के कौशल को भी रेखांकित किया और मुख्य बांध पर कंक्रीट कार्य शुरू करने के महत्व पर जोर दिया। परियोजना के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए, श्री विश्नोई ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित 444 मेगावाट की विष्णुगाड पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है। इस परियोजना में अलकनंदा नदी पर 65 मीटर ऊंचे कंक्रीट बांध का निर्माण शामिल है, जिसमें 237 मीटर ग्रोस हेड का उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना से 1657 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पन्न होना संभावित है। पावर हाउस, ट्रांसफार्मर हॉल, बांध, एचआरटी और टीआरटी क्षेत्र सहित प्रमुख परियोजना संरचनाओं पर सिविल कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की गई है।

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