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उत्तराखंड

भारत का कोई भी गोवंश दुःखी न रहे, इसी उद्देश्य से गोसेवा में लगा है श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा

देहरादून। श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीईओ) ने देहरादून में पत्रकार वार्ता में बताया कि श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा भारत में कोई भी निराश्रित गोवंश न रहें उसके लिए जन जागृति हेतु विभिन्न प्रकार के गोसेवा कार्य एवं आयोजन कर रहा है। वर्तमान में श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के माध्यम से देशभर में विशेष करके राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड में 65 गोशालाओं का संचालन किया जा रहा है इनमें 155000 से अधिक निराश्रित दुर्घटनाग्रस्त, गंभीर बीमार, विकलांग, वृद्ध, असक्त एवं क्रूर कसाईयों से छुड़ाया गया और गरीब गोपालको द्वारा छोड़ा गया नर गोवंश पूज्य भाव से आश्रय, आहार एवं चिकित्सा प्राप्त कर रहा है।
31 वर्ष से अनवरत परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंदजी महाराज द्वारा स्थापित श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा गोशालाओं में गोवंश को दया का पात्र नहीं अपितु पूज्य भाव से ईश्वर मानकर उनकी सेवा में लगा हुआ है। श्री गोधाम द्वारा संचालित गोशालाओं में गाय ही मुख्य आराध्या के रूप में स्थापित रहती है। सिंहल ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख नहीं है कि लोगों ने गोवंश को घर से निकाल दिया अपितु इस बात का दुख है कि गाय को अपनी मां मानने वालों ने उसको अपने हृदय से निकाल दिया। इस परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिए नस्ल संवर्धन एवं गोमाता से प्राप्त होने वाले पंचगव्यों के परिष्करण व विनियोग पर भी दृढ़ता से कार्य करते हुए आगे बढ़ना होगा, तभी आम गोपालक गोवंश को छोड़ेगा नहीं।
2016 में परम श्रद्धेय गोऋषिजी का चातुर्मास बद्रीनाथधाम में आयोजित हुआ और उस अवसर पर देवभूमि उत्तराखंड में वेदलक्षणा गोवंश की स्थिति की देख करके उन्हीं के मंगल हेतु उस समूचे अनुष्ठान को संपादित किया गया। 2021 के हरिद्वार कुंभ में भी गोधाम महातीर्थ द्वारा भारतवर्ष के शीर्षस्थ संतों की संगोष्ठियों के माध्यम से गोमाता के विषय को पूरे भारतवर्ष में विशेष कर उत्तराखंड राज्य में आगे ले जाने का प्रयास किया गया।

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