देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.) द्वारा 22 से 24 मार्च तक भा.वा.अ.शि.प., देहरादून में वन गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार के माध्यम से पारितंत्र सेवाओं की संवृद्धि और एसएलईएम ज्ञान का प्रसार पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि अश्विनी कुमार राज्य मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया। उद्घाटन सत्र में मंचासीन गणमान्य व्यक्तियों में अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प., बी के सिंह, अतिरिक्त महानिदेशक वन (वानिकी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, प्रवीर पांडे, अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकारय अनुपम जोशी, वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ, विश्व बैंक एवं कंचन देवी, उपमहानिदेशक, (शिक्षा), निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) थे।
उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि हम लोग ऐसे समय में एकत्रित हो रहे हैं जब भारत आगामी 25 वर्ष के “अमृत काल” के लिए नए लक्ष्य तय कर रहा है। उन्होने कहा कि मुझे हर्ष हो रहा है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा भा.वा.अ.शि.प. को सतत भूमि एवं पारितंत्र प्रबंधन (एसएलईएम) पर भूमि निम्नीकरण के मुद्दों पर वैज्ञानिक उपागम विकसित करने और नई प्रौद्योगिकियों के प्रवर्तन हेतु उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना करने की जो घोषणा की थी उसके अनुसरण में भा.वा.अ.शि.प. ने विश्व बैंक के सहयोग से भारत में स्लेम के तहत संस्थानिक और नीतिगत मुख्यधारा हेतु एक रोडमैप विकसित किया है। यह रोडमैप भारत के भूमि क्षरण तटस्थता (एलडीएन), सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तथा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों पर दिशानिर्देश और कार्ययोजना उपलब्ध कराएगा। महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. ने मुख्य अतिथि, अन्य गण्यमान अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के विषय में प्रारंभिक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सतत भूमि और पारितंत्र प्रबंधन के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों, वनों, जैव विविधता का संरक्षण और बंजर भूमि की बहाली प्राप्त की जा सकती है।
जो प्रकृति की रक्षा करते हैं प्रकृति उनकी रक्षा करतीः अश्विनी कुमार
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