Tuesday, May 21, 2024
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ध्रुपद और शास्त्रीय बांसुरी वादन की धुन से विरासत में दर्शक हुए सराबोर

देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 के बारहवें दिन की शुरुआत डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्टेडियम (कौलागढ़ रोड) देहरादून में सीट एंड ड्रा आर्ट कंपटीशन के साथ हुआ। जिसमें देहरादून के 15 स्कूलों के 178 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। सीट एंड ड्रा आर्ट कंपटीशन के अंतर्गत बच्चों को ’हमारी विरासत’ एक टॉपिक दिया गया जिसमें उनको हमारी विरासत और धरोहर के उपर एक ड्रॉइंग बनाना था और इस दौरान छात्र विरासत में कही भी बैठ कर यह काम कर सकते थे। सभी बच्चों को एक धंटे 30 मिनट का समय दिया गया था। इस आर्ट कंपटीशन का परिणाम 28 अप्रैल को धोषित किया जाएगा।
सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं अनुज प्रताप सिंह द्वारा ध्रुपद प्रस्तुत किया गया। अनुज जी ने राग चंद्रकौं “चलो सखी ब्रज बें धूम माछी“ की प्रस्तुति दी, इसके बाद राग मलकाउन्स, “शंकर गिरिजापति पार्वती पाटेश्वर“ प्रस्तुत किया। उनके साथ आदित्य दीप जी, आदित्य शर्मा और सुनील भदौरिया (तानपुरा) पर थे। अनुज अपने गुरुजी के साथ पहले विरासत में अपनी प्रस्तुति दे चुके है और पुनः इस बार विरासत में अपनी प्रस्तुति देने में उन्हें बहुत प्रसन्नता हो रही है।
ध्रुपद की उत्पत्ति सामवेद से मानी जाती है। यही कारण है कि इसे समागन के नाम से भी जाना जाता है। ग्वालियर के राजा महाराजा मानसिंह तोमर ने इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए ध्रुपद का संस्कृत से बृज में अनुवाद किया था। उन्होंने “मानकौतुहल“ नाम से पांडुलिपि भी लिखी जिसमें उनके द्वारा रचित कई ध्रुपद शामिल हैं। अनुज जी चंबल के बाहर के पहले ध्रुपद कलाकार हैं, उन्होंने अपना पहला संगीत प्रशिक्षण अपने पिता गजेंद्र सिंह कुशवाह, ज्ञान सिंह शाक्य और राम मोहन मिश्रा से प्राप्त किया। 17 साल की उम्र में उनका रुझान ध्रुपद की ओर हो गया और ध्रुपद केंद्र के पहले छात्रवृत्ति बैच में उनका चयन भी हो गया।

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