देहरादून। आईसीएफआरई-एफआरआई ने 29वीं अनुसंधान सलाहकार समूह की बैठक आयोजित की। बैठक आयोजित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य नए परियोजना प्रस्तावों और चल रही परियोजनाओं के लिए परिवर्तन अनुरोधों पर चर्चा और मूल्यांकन करना था। बैठक की शुरुआत आईसीएफआरई-एफआरआई की निदेशक डॉ. रेनू सिंह द्वारा दिए गए उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने सभी अनुसंधान सलाहकार समूह के सदस्यों, राज्य वन विभाग के अधिकारियों, विभागाध्यक्षों, आईसीएफआरई-एफआरआई और अन्य आईसीएफआरई संस्थानों के वैज्ञानिकों का स्वागत किया। उन्होंने उद्योगों, स्वयं सहायता समूहों, समुदायों और उत्पादकों की मांगों को पूरा करने में अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया। डॉ. रेनू सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईसीएफआरई को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और बदलती आवश्यकताओं पर अपना ध्यान फिर से केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वानिकी से जुड़े पर्यावरणीय क्षरण के मुद्दों को अपनी योजना में शामिल करने की जरूरत है। निदेशक ने अनुसंधान सलाहकार समूह के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो विभिन्न परियोजना प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के लिए सालाना बैठक करता है और आईसीएफआरईद्वारा वित्त पोषण के लिए उपयुक्त परियोजनाओं को भी मंजूरी देता है।
डॉ. एन.के. उप्रेती, जीसीआर, आईसीएफआरई-एफआरआई ने आरएजी बैठक का एजेंडा प्रस्तुत किया। उन्होंने आरएजी सदस्यों को उन चार प्रमुख क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जिनके तहत संस्थान की अनुसंधान गतिविधियां शुरू की जा रही हैं। उन्होंने शासनादेशित राज्यों में संचालित परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने आईसीएफआरई-एफआरआई में चल रही परियोजनाओं और इस वर्ष पूरी हुई परियोजनाओं की प्रगति के बारे में भी जानकारी दी। पीआई ने डायस से अपने संबंधित परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत किए। गहन चर्चा की गई और पीआई से उनकी परियोजनाओं की व्यवहार्यता पर जिरह की गई। चल रही परियोजना जिसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विस्तार की आवश्यकता है, उस पर भी विचार-विमर्श किया गया। जो परियोजना प्रस्ताव उपयुक्त पाए गए, उन्हें आरएजी सदस्यों द्वारा आईसीएफआरई द्वारा वित्त पोषण के लिए अनुशंसित किया गया।
आईसीएफआरई-एफआरआई ने 29वीं अनुसंधान सलाहकार समूह की बैठक आयोजित की
Recent Comments
Hello world!
on