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उत्तराखंड

उत्तराखंड आंदोलन का चरम दौर कवर करने वाले पत्रकारों का चिह्नीकरण जरूरीः चमोली

देहरादून। धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली का शुक्रवार दोपहर उत्तरांचल प्रेस क्लब कार्यालय पहुंचने पर क्लब पदाधिकारियों ने पुष्पकली भेंटकर स्वागत किया। इस मौके पर उनके साथ उत्तराखंड आंदोलन के विविध पहलुओं, राज्य के राजनीतिक हालात, भू-कानून समेत विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। 1989 से सभासद, पहले और आखिरी निर्वाचित पालिकाध्यक्ष, दो बार देहरादून का मेयर रहने के बाद लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए विनोद चमोली उत्तराखंड आंदोलन में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) में निरुद्ध रहने के साथ ही उत्तराखंड से बाहर सबसे लंबी जेल काटने वाले एकमात्र आंदोलनकारी भी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन के चरम दौर (1994 से 96) के बीच उत्तराखंड के भीतर आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों को भी आंदोलनकारियों के रूप में चिह्नित किया जाना चाहिए, क्योंकि पत्रकारों ने बेहद जोखिमपूर्ण स्थितियों में काम करते हुए उस वक्त आंदोलन को शिथिल नहीं पड़ने दिया। कई पत्रकारों ने लाठियां खाईं और पुलिस की यातनाएं तक सहीं। चमोली ने कहा कि वे इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं और भविष्य में विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाएंगे।
धर्मपुर विधायक ने कहा कि राज्य में भू-कानून के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा जरूरी है। क्योंकि, इसका प्रभाव मैदानी क्षेत्रों में अलग तरह से पड़ेगा, तो पहाड़ी क्षेत्रों में अलग तरह से। यह देखना होगा कि पहाड़ के लोगों को किसी तरह का नुकसान भी न हो और राज्य में हो रहे जनसांख्यकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) को भी रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार की सर्वाधिक संभावनाएं पर्यटन के क्षेत्र में हैं। इसलिए, इस पर खास जोर देना होगा। उन्होंने जानकारी दी कि रेस्टकैंप रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण कार्य तेजी पर है। इसके साथ ही प्रिंसचैक से आगे सड़क को चैड़ा करने का भी प्रस्ताव है।

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