ऋषिकेश। रानीपोखरी के नागाघेर में हैवानियत का शिकार हुए परिवार के पांच सदस्यों के शवों का मंगलवार को ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। चिता की आग में मां चिंता और उसकी तीन मासूमों बेटियों के सपने भी जलकर राख हो गए। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। वहीं, रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। अंतिम संस्कार से पहले जब हत्या के आरोपी महेश की पत्नी नीतू की मां मुनिया देवी, भाभी पूनम मिश्रा और मौसी सुशीला देवी को शवों के अंतिम दर्शन कराए गए तो वह कटे हुए गले देखकर खुद को संभाल नहीं पाईं। उनके रोने और चिल्लाने की आवाज सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
सोमवार को रानीपोखरी के नागाघेर में महेश तिवारी ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए बुजुर्ग मां बीतन देवी, पत्नी नीतू और तीन बेटियों अपर्णा, स्वर्णा और अन्नपूर्णा की बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी थी। मंगलवार को महेश के छोटे भाई नरेश ने नम आंखों और कांपते हाथों से सभी शवों को मुखाग्नि दी। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। कोरोनेशन अस्पताल देहरादून में सोमवार देर रात तक चले पोस्टमार्टम के बाद पांचों शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिए गए थे। बेटी की हत्या की खबर सुन नीतू की मां मुनिया देवी मध्य प्रदेश से परिवार के साथ यहां पहुंचीं। मुनिया देवी ने बेटी नीतू और नातिनों के अंतिम दर्शन की बात कही। इस पर शवों के ऊपर से कपड़ा और पॉलिथीन हटाई गई। बेटी और नातिनों के गले पर महेश की दरिंदगी के निशान देखे मुनिया देवी फफक-फफक कर रोने लगीं। पूरा माहौल इतना गमगीन हो गया था कि हर किसी की आंखें नम हो गईं। बड़ी मुश्किल से मुनिया देवी को संभाला गया। मुनिया देवी ने कहा कि तीन महीने पहले उनकी अपनी बेटी से बात हुई थी। वह इस बार दिवाली में मायके आने की बात कह रही थी लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। नीतू के मायके पक्ष से उनकी मां, भाई पंकज मिश्रा, हर्षित दुबे, दीपक दुबे, मौसी सुशीला तिवारी और भाभी पूनम मिश्रा यहां आए हैं। पूर्णानंद घाट अंतिम संस्कार के दौरान नीतू की मां मुनिया देवी पड़ोस में रहने वाला सुबोध जायसवाल के गले लगकर रोने लगीं। उन्होंने सुबोध से कहा कि बेेटा तूने काहे नहीं बचाया हमारी बचिया को…यह सुन सभी परिजनों के आंखों में आंसू आ गए। सभी लोग मुनिया देवी को संभालने की कोशिश कर रहे थे।