देहरादून। नार्वे की राजधानी ओस्लो में बीते 40 वर्षों से सपरिवार हिंदी की सेवा में जुटे साहित्यकार एवं पत्रकार सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक ने बुधवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब के सभागार में पत्रकारों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि नार्वे की तरह भारत में भी कौशल विकास को शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए। ताकि हर कोई स्वावलंबी बन सके। कहा कि साहित्य एवं पत्रकारिता का ध्येय समाज को बांटना नहीं, बल्कि जोड़ना होना चाहिए।
प्रेस क्लब की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम में शरद आलोक ने नार्वे में पत्रकारिता और हिंदी के विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि नार्वे में भारत के कोने-कोने से गए 25 हजार भारतीय रहते हैं, लेकिन जब वह आपस में मिलते हैं तो हिंदी में ही बात करते हैं। भारतीय दूतावास भी हिंदी को बढा़वा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। कहा पत्रकारिता की चुनौतियां नार्वे में भी भारत जैसी ही हैं, लेकिन वहां की सरकार पत्रकार हितों की अनदेखी नहीं करती। इससे पूर्व प्रेस क्लब के महामंत्री ओपी बेंजवाल ने क्लब कार्यकारिणी की ओर से शरद आलोक का स्वागत किया। क्लब के संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती ने पत्रकार शरद आलोक के कार्य एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने शरद आलोक से संवाद को यादगार पल बताया। इस मौके पर क्लब परिवार की ओर से साहित्यकार एवं पत्रकार शरद आलोक को स्मृति चिह्न एवं शाल भेंटकर सम्मानित किया गया।
कौशल विकास हो शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा
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