Saturday, July 27, 2024
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बच्चियों की विलक्षण प्रतिभा को पहचानना ही उनके सपनों को पंख देने की ओर पहला कदम

देहरादून। किसी ने ठीक ही कहा है कि “अगर आपको प्यास लगी है तो आपको ही कुएँ तक चलकर जाना होगा, न कि कुआँ खुद आपके पास आएगा”। दुनिया ऐसे कीमती हीरों से भरी पड़ी है जिन्हें अब तक तराशा नहीं गया है, और यही बात छिपी हुई प्रतिभा पर भी लागू होती है। भारत देश में 130 करोड़ लोग बसते हैं, और ऐसे में करोड़ों घरों में छिपी हुई ऐसी हर एक प्रतिभा को सही मंच मिलना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। हालाँकि कुछ लोग अपने भीतर छिपी हुई प्रतिभा को पहचानकर उसे सही मंच प्रदान कर सकते हैं, पर कुछ विशेष प्रतिभा वाले बच्चों के लिए यह मुश्किल हो सकता है।
12 की उम्र तक अधिकतर विलक्षणताएँ एक वयस्क स्तर पर सफलतापूर्वक किसी न किसी कौशल को प्रदर्शित कर देती हैं। वे काफी गहनता के साथ प्रेरित होते हैं और अक्सर घंटों तक अपने कौशल को विकसित करने के प्रति केन्द्रित रहते हैं। जिन्होंने विलक्षणताओं को बढ़ते हुए देखा है वे बताते हैं कि किस प्रकार 4 वर्ष की छोटी उम्र से ही उनकी अपवदात्मक स्मृति और शीघ्र सीखने की क्षमताएँ विकसित हुईं। उनमें कुछ ऐसे अंतर्मुखी भी होते हैं जिनका बचपन बहुत मुश्किल में बीता हुआ होता है क्योंकि स्कूल के समय उनका अपने समकक्षों के साथ जुड़ना इतना भी सहज नहीं रहा था। हालाँकि यह सब कही-सुनी बातें भी लग सकती हैं, मगर 10-12 की उम्र तक आते-आते इन विलक्षणताओं के कौशल में वयस्क विशेषज्ञता व अति विशेष प्रतिभा के लक्षण और अधिक उभरकर सामने आने लगते हैं।
लैंगिक असमानता कई शताब्दियों से भारत में एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक समस्या रही है। इसी कारण से यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि विलक्षणता की चमक लेकर जन्मी छोटी बच्चियों की प्रतिभा को पहचाना जाए, तथा उसके बारे में विमर्श शुरू किए जाएँ। गिवइंडिया के साथ मिलकर्र म्म्स् अब उड़ने के लिए जन्मी ब्ैत् पहल को लेकर सामने आया है जो कि एक ऐसा कार्यक्रम है जो भारत में बच्चियों की विलक्षणताओं की विशेष प्रतिभा को और भी प्रखर बनाएगा। इसका मिशन है पूरे देश की छोटी बच्चियों के लिए “विलक्षणता इनक्यूबेटर” बननार्। म्म्स् के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, श्री उमेश कुमार बंसल ने कहा कि, “उत्कृष्टता हासिल करने की हमारी यात्रा में हमने यह जाना है कि भारतीय कला को सहयोग और फोकस की बहुत सख्त जरूरत है। कला के विभिन्न रूपों को पुनर्जीवित करने का सबसे अच्छा तरीका है उन विलक्षण बच्चियों पर ध्यान देना जिन्हें सुर्ख़ियों में लाने की आवश्यकता है। हम उम्मीद करते हैं कि इस पहल से हमें यह जागरुकता फलाने में मदद मिलेगी और यह विलक्षण प्रतिभाएँ भी असम्भव को सम्भव कर दिखाएँगी।”

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