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उत्तराखंड

भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलसे से पहले ही पहुंच रहे सैलानी, ग्रामीण मान रहे अनिष्टकारी

रुद्रप्रयाग। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने से पहले ही यहां सैलानियों की भारी संख्या में आवाजाही होने लगी है। अभी तक धाम के कपाट खोलने को लेकर तिथि भी तय नहीं हुई है और धाम में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। जिस कारण भगवान शंकर की तंद्रा भंग होने के साथ ही अजैविक कूड़ा फेंकने के कारण वातावरण दूषित हो रहा है। ऐसे में तुंगनाथ घाटी के लोग, सैलानियों की समय से पूर्व इस चहलकदमी को अनिष्टकारी मान रहे हैं।
तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है। यह केदारनाथ और बदरीनाथ के करीब-करीब बीच में है। इस जगह की खासियत यह है कि यहां आकर हर एक इंसान तनाव को भूल, यहां कि शांति को महसूस करने लगता है। यहां के शांत माहौल का लोगों पर इतना प्रभाव पड़ता है कि जीवन के प्रति उनका नजरिया ही बदल जाता है। समुद्रतल से इस मंदिर की ऊंचाई 12 हजार फुट से ज्यादा है। पंचकेदारों में शुमार बाबा तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि वैशाखी के पवित्र पर्व पर मक्कूमठ मंदिर में तय की जाती है, लेकिन इस क्षेत्र में लगातार हो रही बर्फबारी के चलते सैलानी तथा क्षेत्रीय पर्यटक चोपता के साथ ही भगवान तुंगनाथ के मंदिर के दर्शनार्थ मखमली बुग्यालों का सीना चीरते हुए तुंगनाथ धाम पहुंच रहे हैं। कई पर्यटक तो जूते समेत ही मंदिर के प्रागंण और इर्द-गिर्द पहुंच रहे हैं, जिस कारण हिन्दुओं की आस्था पर कुठाराघात हो रहा है। इसके साथ ही कई अराजक पर्यटक अपने साथ लाये गये जंक फूड के रैपर तथा पानी की खाली बोतलों को वहीं छोड़ रहे हैं, जिस कारण यहां पर प्रदूषण फैल रही है। स्थानीयों का कहना है कि पर्यटकों की तुंगनाथ मंदिर के इर्द गिर्द चहलकदमी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चोपता, दुगलबिट्टा आदि पर्यटक स्थलों में पर्यटक पहुंच रहे हैं, जिस कारण स्थानीय व्यवसायियों के भी चेहरे खिले हैं, लेकिन भारी तादात में सैलानी तुंगनाथ मंदिर भी पहुंच रहे हैं, जो आस्था के साथ खिलवाड़ है।

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