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उत्तराखंड

महिलाओं के अधिकारों का क्रियान्वयन जरूरीः उत्तराखंड स्पीकर

देहरादून/तिरुवनंतपुरम। केरल विधानसभा द्वारा तिरुवनंतपुरम में 26 मई से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन में उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने प्रतिभाग किया। सत्र के दौरान वक्ता के रूप मे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति करते हुए कई मील के पत्थर पार किए हैं, इसके बावजूद भी महिलाओं के लिए वास्तव में स्वतंत्र समान स्थिति के सपनों को पूरी तरह से साकार करने के लिए अभी भी बहुत सारी चुनौतियां मौजूद हैंद्यउन्होंने कहा कि इस दिशा में सबको एकजुट हो कर राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में श्आजादी का अमृत महोत्सवश् के हिस्से के रूप में केरल विधानसभा की मेजबानी में देश में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 26 मई को किया गयाद्य उद्घाटन सत्र के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने देश में लैंगिक समानता की नींव रखी। उन्होंने उन महिलाओं के प्रेरणादायी योगदान को याद किया जिन्होंने उपनिवेशवाद से मुक्ति दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया। उन्होने कहा कि महिलाएं जीवन के चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं और कोविड महामारी से मजबूती से लड़ने में महिलाओं ने अपनी सूझबूझ दिखाई। उन्होंने कहा कि गांधी जी के कुशल नेतृत्व में असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की उत्कृष्ट भागीदारी रही है। राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन के सत्र के दौरान संविधान एवं महिलाओं के अधिकारश् विषय पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ष्यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता”द्यउन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अंतर्गत महिलाओं को कई सांविधानिक अधिकार प्रदान किए गए हैं,समय-समय पर संविधान में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिए संशोधन किए जाते रहे हैंद्य विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान में दिए गए महिलाओं के अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप से अपने विचार रखेंद्यउन्होंने कहा कि अभी भी पुरुष-प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए उनके अधिकारों को न केवल सुनिश्चित करना जरूरी है बल्कि उन अधिकारों का क्रियान्वयन भी आवश्यक है।

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