देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून ने भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) के सहयोग से उत्तर प्रदेश के लकड़ी आधारित उद्योग के लिए अनुसंधान आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक एफआरआई डॉ रेनु सिंह, आईएफएस और अशोक कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष आईआईए ने की। आईआईए के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और सुभाष जॉली के नेतृत्व में वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (डब्ल्यूटीए), यमुना नगर के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, एस. राजीव अग्रवाल, यमुना नगर के प्लाइवुड निर्माता, सुरेश बाहेती, मुख्य संपादक, प्लाई इनसाइट पत्रिका, मीडिया, एफआरआई के डिवीजनों के प्रमुख,वैज्ञानिक और अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से लकड़ी उद्योगों और किसानों के सामने आने वाले मुद्दों और समस्याओं पर जोर दिया गया और चर्चा की गई की एफआरआई की अनुसंधान गतिविधियों और विशेषज्ञता से लकड़ी के उत्पादन और उद्योग के उपयोग के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कैसे मदद मिल सकती है । डॉ रेनु सिंह, एफआरआई के निदेशक ने अपने भाषण में रेखांकित किया कि उद्योग-किसान-शोधकर्ता लकड़ी आधारित उद्योग के विकास में तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने एक रोडमैप विकसित करने पर भी जोर दिया ताकि मुद्दों को संबोधित किया जा सके और प्रत्येक स्तंभ द्वारा कुशलतापूर्वक हल किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि सीमित वित्त पोषण और प्रयोगात्मक क्षेत्रों की कमी वानिकी अनुसंधान में प्रगति की मुख्य बाधा है और उद्योग दोनों को दूरकरने में मदद कर सकते हैं। आईआईए के अध्यक्ष अशोक कुमार अग्रवाल ने इस बात की सराहना की कि एफआरआई का शोध कार्य उद्योगों और किसानों दोनों की मदद कर रहा है। वह वैज्ञानिकों की मदद से भारतीय उद्योग संघ के माध्यम से एक सहायता केंद्र शुरू करना चाहते है जो ज्ञान का प्रसार कर सके और उद्योगों और किसानों के विभिन्न मुद्दों का समाधान कर सके। यह सहायता केंद्र लकड़ी और लकड़ी आधारित उद्योगों, उत्पादकों के साथ-साथ शोधकर्ताओं के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य कर सकता है। लकड़ी उद्योगपतिय श्री अनुज गर्ग, अध्यक्ष आईआईए मुजफ्फरनगर और प्रमोद सदाना, अध्यक्ष आईआईए सहारनपुर ने छोटे लकड़ी उत्पाद और हस्तशिल्प उद्योगों में एफआरआई की मदद का अनुरोध किया, जिनका निर्यात बाजार 100 अरब रुपये है।
लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए एफआरआई अनुसंधान आउटरीच का आयोजन
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