देहरादून। डब्लूआईसी इंडिया, देहरादून और पेंगुइन रैंडम हाउस ने रहमान अब्बास द्वारा लिखी रोहजिन पुस्तक पढ़ने और चर्चा की मेजबानी की। सत्र का संचालन प्रोफेसर हम्माद फारूकी ने किया। रोहजिन का जर्मन, अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। इस किताब को स्विस और जर्मन सरकारों द्वारा प्रतिष्ठित लिटप्रोम ग्रांट पुरुष्कार भी मिला चुका है। रहमान अब्बास एक भारतीय मूल के कथा लेखक और 2018 में अपने उपन्यास रोहज़िन के लिए भारत के सर्वाेच्च साहित्यिक पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी हैं। वह 2017 में हाइड ऐंड सीक इन द शेडो ऑफ गॉड तथा रोहज़िन किताब के लिए दो राज्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। वह एकमात्र भारतीय उपन्यासकार हैं, जिन्हे उनकी किताब रोहज़िन के लिए जर्मन संघीय विदेश कार्यालय और स्विस-साउथ कल्चरल फंड द्वारा वित्त पोषित लिटप्रोम ग्रांट पुरुष्कर भी मिला है। वह अंग्रेजी ओर उर्दू मे भाषाओं लिखते हैं। उनके उपन्यास प्रेम और निषिद्ध राजनीति के विषयों से संबंधित होते हैं।
रहमान अब्बास के अनुसार मैं डब्ल्यूआईसी इंडिया में मौजूद दर्शकों के सामने अपनी पुस्तक रोहजिन पर चर्चा करने के लिए उत्साहित हूं। रोहज़िन एक कल्पना के धरातल पर रहता है, जो पाठकों को मुंबई शहर में एक अनूठी यात्रा पर ले जाता है, एक अत्यधिक अपने आप में दिलचस्प चरित्र। उपन्यास का नायक, असरार, मुंबई आता है, और उसकी आँखों के माध्यम से मैंने मुंबई के अब तक के अज्ञात पहलुओं, अनदेखी रंगों और शहर के अनदेखे रहस्यों का वर्णन किया है। उपन्यास का सारांश मानवीय भावनाओं, विशेष रूप से प्रेम, लालसा और कामुकता को उदात्त अभिव्यक्ति के रूप में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करवाता है।” इस सत्र में पूर्व डीजीपी आलोक लाल; विजडम अकादमी, हिमगिरी संस्थान, दून विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य और जन संवाद एनजीओ के प्रतिनिधि; साहित्य प्रेमी और डब्ल्यूआईसी के सदस्यों ने भाग लिया।
लेखक रहमान अब्बास की किताब रोहजिन पढ़ने और चर्चा करने के सत्र का आयोजन करवाया
Recent Comments
Hello world!
on