सीएम ने वन एवं पर्यावरण के संबंध में जिलाधिकारयों के साथ समीक्षा बैठक की
रूद्रपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी व वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जिलाधिकारियों के साथ वन एवं पर्यावरण से सम्बन्धी समीक्षा बैठक की। उन्होंने पर्यावरणविद स्व0 सुंदर लाल बहुगुणा को याद कर नमन करते हुए कहा कि उनको पूरा देश ही नही बल्कि पूरा विश्व उनके पर्यावरण प्रेम को लेकर उन्हें हमेशा याद करेगा। उन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण को समर्पित किया। मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा की प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण है व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सचेत करना है। हम सभी का पर्यावरण के बीच बहुत गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाना ही होगा। विश्व में लगातार वातावरण दूषित होते जा रहा है, जिसका गहरा प्रभाव हमारे जीवन में भी पड़ रहा है। उन्होने कहा कि प्रकृति से हमें जो ऑक्सीजन मिलती है, वह हरित आवरण को बढ़ाने और हमें शुद्ध वातावरण में सांस लेने से लेकर जलवायु को प्रदूषित होने से बचाती है। यह एक ऐसी ईश्वर की दी हुयी संजीवनी है जिसके बारे में हमे मिल कर ठोस कदम उठाना होगा।
वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री उनियाल ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से तात्पर्य वृक्ष उगाना, शहर को हरा भरा करना, बगीचों को फिर से बनाना और नदियों व तटों की सफाई करना है। जिसके फलस्वरूप हमारी धरती कार्बन डाईऑक्साइड को अलग करके ऑक्सीजन देने में सफल हो पाएगी। उन्होने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा यह गैस हमारे वातावरण को लगातार भरे जा रही है और जलवायु परिवर्तन की समस्या को भयावह बना रही है यह अत्यन्त चिन्ता का विषय है उन्होने कहा हमें यह समझने की जरूरत है कि पेड़ लगाने या पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए हमें पहले प्रकृति और समाज के साथ अपने संबंधों को बहाल करना होगा। मा० मंत्री जी सभी जिलाधिकारी व सभी विभागाध्यक्ष को निर्देश देते हुए कहा कि पहले से अब तक का हमारा जल स्तर बहुत ही कम होता जा रहा है इस अवसर पर सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि राज्य में जितने गांव हैं तथा गाँव के आसपास के क्षेत्रों में जितने जल स्रोत हैं, राजस्व अभिलेखों में जिन जल स्रोतों का उल्लेख किया गया है उन जल स्रोतों को 1 वर्ष के अंदर पुनर्जीवित करना हैं। उन्होंने कहा कि जो बाते आज कही गयी है उसे सभी मनन करते हुये कार्याे धरातल पर उतारना सुनिश्चित करें तभी पर्यावरण शुद्ध हो पायेगा।