रुड़की। कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए तथा प्रभावी ढंग से इसके इलाज के महत्व को समझते हुए, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) के प्रोफेसरों की एक टीम, अर्थात् प्रोफेसर इंद्रनील लाहिड़ी, प्रोफेसर पार्था रॉय, प्रोफेसर, देब्रुपा लाहिड़ी और उनके समूहों के शोधकर्ताओं ने एक सरल, उपयोग में आसान श्वांस आधारित कैंसर डिटेक्टर (बीएलओ डिटेक्टर) विकसित किया है, जो वर्णमिति के सिद्धांतों पर काम करता है। यह उपकरण स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर की उपस्थिति का पता लगाने में सक्षम है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आईआईटी रुड़की ने टाटा स्टील के साथ इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी, उपाध्यक्ष, प्रौद्योगिकी और नई सामग्री व्यवसाय (टेक्नोलॉजी एंड न्यू मेटेरियल्स बिज़नेस), टाटा स्टील, न्यू मेटेरियल्स बिज़नेस फॉर इवेंट, किंग्शुक पोद्दार, प्रमुख, चिकित्सा सामग्री और उपकरण (मेडिकल मेटेरियल्स एंड डिवाइसेस), टाटा स्टील भी शामिल थे। टाटा स्टील न्यू मेटेरियल्स बिज़नेस, डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी के नेतृत्व में टाटा स्टील का एक समर्पित कार्यक्षेत्र है और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में विलक्षण स्वदेशी समाधान विकसित करने और आयात निर्भरता को कम करने पर पूर्णत केंद्रित किया गया है। यह वर्टिकल भारतीय जनसांख्यिकी के लिए भारत-आधारित निर्माण पर ध्यान देने के साथ बेंच से बेडसाइड तक ट्रांसलेशनल रिसर्च को बढ़ावा देने में शिक्षा के साथ मिलकर काम करता है।
बीएलओ डिटेक्टर आबादी के एक बड़े हिस्से की जांच के लिए महत्वपूर्ण होगा, जो इन तीन प्रकार के कैंसर में से किसी के लिए अतिसंवेदनशील हैं। इस परीक्षण में एक सकारात्मक परिणाम कैंसर के विस्तृत निदान और उपचार के लिए एक डॉक्टर के पास एक त्वरित विजिट सुनिश्चित करेगा।
आईआईटी रुड़की ने टाटा स्टील के साथ बीएलओ डिटेक्टर के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर हस्ताक्षर किए
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