देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को ज्ञापन भेज कर मांग की है कि कोविड रोधी टीके कोविशिल्ड प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि उक्त वैक्सीन लेने से पीड़ित नागरिकों को सम्यक क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए और जो लोग टीके के कारण तमाम अवांछित बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनके उपचार की गारंटी कंपनी ले, साथ ही टीका निर्माता कंपनी को लाभ पहुंचाने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के कोष से वसूली की जाए। कांग्रेस ने मांग की है कि देश की जनता के अमूल्य स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के दोषी लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि राजनीतिक स्वार्थों के वशीभूत गंभीर आपराधिक कृत्य के लिए दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य को इस तरह के आपराधिक षड्यंत्र की पुनरावृत्ति न हो सके। कांग्रेस नेताओं ने यह ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा है। जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में ज्ञापन देहरादून के सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष कुमार को सौंपा गया। ज्ञापन देने वालों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव महर्षि, पूर्व महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष पूरन सिंह रावत, महानगर कांग्रेस अध्यक्ष जसविंदर सिंह गोगी, चंद्रमोहन कंडारी, सुनील नौटियाल, संजय शर्मा, रोहित ठाकुर, प्रदेश सचिव उत्तराखंड कांग्रेस विकास नेगी, अमित मसीह सहित अन्य नेता मौजूद थे।
ज्ञापन में कहा गया है कि देश – दुनिया में तमाम मीडिया रिपोर्टों के कारण कोविशिल्ड के घातक दुष्प्रभावों के मामले की उच्चस्तरीय जांच कर जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के दोषी लोगों को कानून के शासन के तहत दंडित किया जाए। कोरोना काल में जब समूची मानवता संकट में थी, उस समय कोविड वैक्सीन को अमृत के रूप में माना जा रहा था, क्योंकि मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे थे। लेकिन आज जिस तरह से मीडिया रिपोर्ट सामने आ रही हैं, उन्होंने समूची मानवता को न सिर्फ झकझोर दिया है बल्कि चिंता भी बढ़ा दी है।
कांग्रेस नेताओं ने ज्ञापन में कहा है कि ब्रिटेन के अदालत में पेश दस्तावेजों में कोविड वैक्सीन बनाने वाली एस्ट्रोजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात स्वीकार कर भारतीय समाज की चिंता को अत्यंत बढ़ा दिया है। यह रिपोर्ट भारत के लिए इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि भारत में कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड- एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था और इसका निर्माण पूना की सीरम इंस्टीट्यूट ने किया। भारतीय नागरिकों को सर्वाधिक टीके इसी कंपनी के लगाए गए हैं। इसलिए उक्त टीके के दुष्प्रभावों के बारे में कंपनी की स्वीकारोक्ति से जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हो गई है।
कोविड वैक्सीन मामले की उच्चस्तरीय जांच होः कांग्रेस
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