देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल के छठवें दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के अंतर्गत आर्ट एंड क्राफ्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें देहरादून के कई फाउंडेशन एवं विद्यालय के बच्चो ने प्रतिभाग लिया। इसमें 5 अलग अलग तरह की आर्ट वर्कशॉप का आयोजन करवाया गया। जिसके अंतर्गत मधुबनी आर्ट, क्ले मॉडलिंग, रांगोली मेकिंग, चॉकलेट मेकिंग, एपन जैसी वर्कशॉप आयोजित कि गई। लतिका ग्रुप फाउंडेशन के 11 विशेष अक्षम बच्चो ने मधुबनी चित्रकारी की वर्कशॉप में भाग लिया जिसे डॉ प्रसून्न कुमार के नेतृत्व में करवाया गया, जिसमे उन्होंने मोर और मछली की आकृति को मिलाकर इक सुंदर आकृति बच्चो को सिखाई। आर्मी पब्लिक स्कूल (क्लीमेन टाउन) के 20 बच्चो ने क्ले मॉडलिंग में भाग लिया जिसमें उनको क्ले से कछुआ बनाना सिखाया जो अदिति एवम अजय द्वारा सिखाया गया। उसके बाद आर्मी पब्लिक स्कूल के बच्चो ने एपेन वर्कशॉप में भी भाग लिया जो बबिता नौटियाल के नृतित्व में संचालित हुआ जिसमे उन्होंने पवित्र चिन्ह के बारे में बच्चो को बताया एवं बनाना भी सिखाया। रफाएल राइडर चेशायर इंटरनेशनल सेंटर के 7 विशेष अक्षम बच्चो ने रंगोली मेकिंग में भाग लिया जिसका नेतृत्व मुकेश कुमार द्वारा किया गया। साथ ही साथ रफाएल के विशेष अक्षम बच्चो ने चॉकलेट मेकिंग में भी भाग लिया, जिसमे उन्होंने अलग अलग स्वाद की चॉकलेट बनाना सीखा और बनने के बाद उन्होंने खुद चख कर अपनी बनाई चॉकलेट का आंकलन किया।
सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं शाकिर खान द्वारा शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुवात राग बागेश्वरी से की। पहले उन्होंने अलाप से शुरू किया फिर उसके बाद विलंबित और आखिर में उन्होंने लोकगीत से प्रस्तुति का समापन किया। उनकी संगत में शुभ महाराज (तबला) पर उनकी प्रस्तुति में उनका सगंत दिया। शाकिर खान ने कहां यह विरासत में उनकी पहली प्रस्तुति है और उनके गुरूओ ने उनहें कहां है कि ’अपनी अच्छे से सीखी हुई कला और संगीत को प्रस्तुति को अच्छे ढंग से मंच पर प्रस्तुत कारना ही सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति होती है।’ शाकिर खान महान इटावा घराने के सबसे होनहार युवा प्रतिपादकों में से एक हैं, जो अपने विलक्षण पिता और गुरु – सितार वादक उस्ताद शाहिद परवेज खान के संगीत के नक्शेकदम पर चलते हैं। शाकिर संगीत प्रतिभा, सितार और सुरबहार की परंपरा की अटूट श्रृंखला में आठवीं पीढ़ी की कड़ी का प्रतिनिधित्व करता है। उनके घराने में उस्ताद अजीज खान साहब, सुरबहारिस्ट उस्ताद वाहिद खान साहब और महान उस्ताद विलायत खान साहब की संगीतमय विरासत शामिल है।
’विरासत साधना’ कार्यक्रम में आर्ट एंड क्राफ्ट वर्कशॉप का हुआ आयोजन
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