देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून और सुगंध और स्वाद विकास केंद्र (एफएफडीसी), कन्नौज द्वारा संयुक्त रूप से 7 जून को प्रारंभ हुई सुगन्धित तेलों, परफ्यूमरी और अरोमाथेरेपी पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आज समापन हो गया। वैज्ञानिक छात्रावास, एफआरआई के सम्मेलन हॉल में आयोजित प्रशिक्षण सह कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. रेणु सिंह, निदेशक, एफआरआई, देहरादून ने मुख्य अतिथि के रूप में की। इस आयोजन के लिए अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए, उन्होंने सुगंध उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। रोजमर्रा की जिंदगी में वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक सुगंधित रसायनों की मांगों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और उद्योगपतियों से न केवल भारतीय सुगंध क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके योगदान को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। प्रशिक्षण सह कार्यशाला के सफल समापन के लिए रसायन विज्ञान और बायोप्रोस्पेक्टिंग (सी एंड बीपी), डिवीजन, एफआरआई और एफएफडीसी को बधाई देते हुए, उन्होंने प्रतिभागियों से भारतीय सुगंध उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राप्त ज्ञान, कौशल और अनुभवों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र भी दिए गए।
प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए, विशेष अतिथि कमलेश शाह, बीबीके स्पेशलिटीज, मुंबई और पूर्व सचिव, एफएएफएआई, मुंबई ने सुगंध व्यवसाय करने का एक पेशेवर दृष्टिकोण दिया। एस.वी. शुक्ला, प्रधान निदेशक, एफएफडीसी ने प्रतिभागियों को भविष्य में एफएफडीसी की विशेषज्ञता और सुविधाओं का विस्तार करने का आश्वासन दिया और सुगंध उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए एफआरआई के साथ अन्य संभावित कार्यक्रमों को आयोजित करने की भी जानकारी दी।
सुगन्धित तेलों, परफ्यूमरी और अरोमाथेरेपी पर प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित
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