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उत्तराखंड

40 एसीसी कैडेट्स को मिली स्नातक उपाधि, आईएमए ग्रेजुएशन सेरेमनी

देहरादून। आगामी 11 जून को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड होनी है। उससे पहले हर बार की तरह आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की ग्रेजुएशन सेरेमनी का आयोजन किया गया। शुक्रवार 3 जून को आईएमए की ऐतिहासिक चेटवुड बिल्डिंग में आयोजित 119वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी में इस बार आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी विंग) के 40 होनहार कैडेट्स को स्नातक की उपाधि से नवाजा गया।
आईएमए आर्मी कैडेट कॉलेज (एससी विंग) से ग्रेजुएशन की उपाधि पाने वाले कैडेटों को नई दिल्ली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा डिग्रियां प्रदान की गईं। उपाधि पाने वालों में विज्ञान के 16 कैडेट और कला वर्ग में 24 स्नातक बने। समारोह की अध्यक्षता परम विशिष्ट सेवा मेडल लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट्स आइएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। अब एक साल के प्रशिक्षण के बाद ये सेना में बतौर अधिकारी शामिल हो जाएंगे। एसीसी विंग से स्नातक उपाधि पाने वाले 40 कैडट्स में 5 श्रेष्ठ कैडेट्स को गोल्ड, सिल्वर, ब्रॉन्ज और कमांडो कंपनी बैनर से नवाजा गया। आईएमए एकेडमी के एसीसी विंग से स्नातक की उपाधि पाने वाले इन 40 कैडेट्स को अगले एक साल तक आईएमए में फ्री कमीशन का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसके बाद यह कैडेट्स पासिंग आउट परेड का हिस्सा बनकर देश की सेना में बतौर अधिकारी शामिल होंगे। आर्मी कैडेट कॉलेज गौर हो कि, आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की पहचान पहले ‘दि किचनर कॉलेज’ के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी थी। 16 मई 1960 में किचनर कॉलेज आर्मी कैडेट कॉलेज के रूप में कार्य करने लगा, जिसका शुभारंभ तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमैया ने किया। यहां से पहली ग्रेजुएशन सेरेमनी 10 फरवरी 1961 को हुई। साल 1977 में इस कॉलेज को भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। इस कॉलेज से पास होकर कैडेट्स आइएमए में जेंटलमेन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेकर सैन्य अफसर बनते हैं। आईएमए में ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान आर्मी कैडेट कॉलेज की चैंपियन कारगिल कंपनी को कंपनी कमांडेंट बैनर से सम्मानित किया गया। ये कंपनी बैनर, खेल, शिक्षा, शिविर, वाद विवाद और इंटीरियर जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले को दी जाती है। इसमें हरप्रीत सिंह डब्ल्यूसीए को यह सम्मान मिला।

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