Friday, May 17, 2024
Home ब्लॉग भूख की हूक

भूख की हूक

तरक्की और विकास के तमाम दावों के बीच यदि सुप्रीम कोर्ट को यह कहना पड़े कि भूख से एक भी मौत न हो, यह सुनिश्चित करना लोककल्याणकारी सरकारों का दायित्व है और अगर आप भूख का समाधान देना चाहते हैं तो कोई संविधान, कोई कानून आपको मना नहीं करेगा, तो निस्संदेह यह सरकारों को असहज करने वाला है। विडंबना ही है कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाते देश में भूख से जूझते लोगों के बाबत अदालत को निर्देश देने की जरूरत पड़ी। निस्संदेह, भूख का खात्मा सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि सरकारें कठघरे में खड़ी होती हैं तो इसका मतलब सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। वैसे तो केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा इस दिशा में कई पहल हुई हैं। पहले से ही कई ऐसी योजनाएं चल रही हैं। लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों के चलते वंचित समाज को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। निस्संदेह, कोरोना महामारी ने इस स्थिति को विकट बनाया है।

गरीबी दूर करने में दशकों से हासिल सफलता को हमने एक झटके में गंवा दिया और करोड़ों लोग फिर गरीबी की दलदल में धंस गये। हालांकि इस दौरान सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अस्सी करोड़ लोगों को प्रतिमाह पांच किलो मुफ्त अनाज बांटने का दावा किया है। यह योजना अभी भी जारी है। लेकिन एक बड़ा तबका ऐसा है, जिसने कोरोना संकट के चलते क्रय शक्ति गंवायी है। बड़ी संख्या ऐसे बेरोजगारों की है, जिनका काम पुन: आरंभ नहीं हो पाया। उस पर ग्लोबल हंगर इंडेक्स की वह रिपोर्ट परेशान करती है, जिसमें दुनिया के 116 देशों की सूची में भूख के संकट से जूझने वाले देशों में भारत का स्थान 101वां है। जबकि बीते साल यह स्थिति 94वें स्थान पर थी। तब खराब लगता है जब रिपोर्ट पाकिस्तान, नेपाल व भारत को बेहतर स्थिति में दिखाती है। यद्यपि भारत की आबादी के हिसाब से इस तुलना का कोई औचित्य नहीं है।

वैसे तो भारत सरकार ने इस रिपोर्ट के आंकड़े जुटाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाये हैं। वैश्विक भुखमरी सूचकांक की कार्यप्रणाली को अवैज्ञानिक बताया है। यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि आंकड़े जुटाने वाली एजेंसी भुखमरी की बात कर रही है या कुपोषण की। फिर भी आंकड़े सत्ताधीशों को आईना तो दिखाते ही हैं कि इससे जुड़े वास्तविक आंकड़े सामने आयें और केंद्र व राज्य सरकारें इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करें। आखिर क्यों हर बार शीर्ष अदालत को इस दिशा में हस्तक्षेप करने को बाध्य होना पड़ता है। यह इसलिए भी जरूरी है कि देश में कोई खाद्यान्न संकट नहीं है। इसके भण्डारण और वितरण में लाखों टन अनाज बर्बाद हो जाता है, जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इसे सड़ाने से अच्छा है कि इसे गरीबों में बांट दिया जाये। दरअसल, अक्तूबर में भी शीर्ष अदालत ने भूख से प्रभावित लोगों तक खाना पहुंचाने के लिये केंद्र सरकार से राज्यों से मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर कम्युनिटी किचेन स्कीम का प्रारूप तैयार करने को कहा था। लेकिन मंगलवार को जब इस बाबत केंद्र सरकार ने हलफनामा पेश किया तो उसमें कोर्ट को इस मुद्दे पर कोई गंभीरता व प्रगति नजर नहीं आई। वहीं कोर्ट इस बात से भी नाराज था कि निर्देश के विपरीत निचले स्तर के अधिकारी द्वारा हलफनामा दायर करवाया गया।

बहरहाल कोर्ट ने केंद्र सरकार को विभिन्न राज्य सरकारों से विचार-मंथन करके सामुदायिक रसोई पर देशव्यापी नीति तैयार करने हेतु तीन सप्ताह का समय दिया है। यदि योजना सिरे चढ़ती है तो प्राकृतिक आपदाओं के शिकार, जमीन से उखड़े, बेरोजगार, अक्षम व गरीब लोगों को सामुदायिक रसोई से बड़ी राहत मिलने की राह खुल जायेगी। वैसे तो रचनात्मक कार्यक्रमों से लोगों को आत्मनिर्भर बनाना प्राथमिकता होना चाहिए ताकि उन्हें सरकारी मदद पर निर्भर नहीं रहना पड़े। हर व्यक्ति को राष्ट्र के उत्थान में योगदान करना चाहिए, लेकिन कोरोना संकट से उत्पन्न स्थितियों को अपवाद स्वरूप लिया जाना चाहिए। सरकार को इस समस्या के ठोस समाधान की दिशा में बढऩा चाहिए।

RELATED ARTICLES

कमाल ख़ान के नहीं होने का अर्थ

मैं पूछता हूँ तुझसे , बोल माँ वसुंधरे , तू अनमोल रत्न लीलती है किसलिए ? राजेश बादल कमाल ख़ान अब नहीं है। भरोसा नहीं होता। दुनिया...

देशप्रेमी की चेतावनी है कि गूगल मैप इस्तेमाल न करें

शमीम शर्मा आज मेरे ज़हन में उस नौजवान की छवि उभर रही है जो सडक़ किनारे नक्शे और कैलेंडरों के बंडल लिये बैठा रहा करता।...

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को गंभीरता से लें

लक्ष्मीकांता चावला भारत सरकार और विश्व के सभी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों, सलाह और उसके द्वारा दी गई चेतावनी को बहुत गंभीरता से...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

बिना पंजीकरण यमुनोत्री-गंगोत्री धाम न आएं तीर्थयात्रीः सुंदरम

उत्तरकाशी। सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम ने बुधवार को उत्तरकाशी में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा व्यवस्थाओं की समीक्षा बैठक ली। इस दौरान...

सीएस राधा रतूड़ी ने दिए सभी सरकारी विभागों को सिर्फ मानकीकृत एवं प्रमाणीकृत उत्पादों की खरीद के निर्देश

देहरादून। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी सरकारी विभागों को सिर्फ मानकीकृत एवं प्रमाणीकृत उत्पादों की खरीद के निर्देश दिए हैं। सीएस ने बीआईएस...

गंगोत्री हाईवे पर तीर्थयात्रियों का वाहन दुर्घटनाग्रस्त, कई घायल

उत्तरकाशी। बुधवार सुबह गुजरात के अहमदाबाद से चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं का वाहन गंगोत्री सोनगाड़ के पास हादसे का शिकार हो गया। वाहन...

नगर निगम ने चलाया अतिक्रमण हटाओ अभियान, व्यापारियों में मचा हड़कंप

देहरादून। दून नगर निगम ने शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चला फूूटपाथों पर रखे सामान को कब्जे में लिया। जिससे दुकानदारों में अफरा तफरी...

Recent Comments