London Escorts sunderland escorts 1v1.lol unblocked yohoho 76 https://www.symbaloo.com/mix/yohoho?lang=EN yohoho https://www.symbaloo.com/mix/agariounblockedpvp https://yohoho-io.app/ https://www.symbaloo.com/mix/agariounblockedschool1?lang=EN
Tuesday, October 8, 2024
Home ब्लॉग खेल प्रतिभाएं तराशने के लिए वैश्विक सम्मान

खेल प्रतिभाएं तराशने के लिए वैश्विक सम्मान

अरुण नैथानी

यह सवाल हर व्यक्ति को चौंकाता है कि यदि कोई खिलाड़ी डेढ़ दशक से अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा हो तो उसे इस साल वर्ल्ड एथलेटिक्स की ओर से ‘वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड’ कैसे मिल सकता है? जाहिर है उस खिलाड़ी ने कुछ ऐसा खास किया होगा, जिसको पूरी दुनिया ने नोटिस किया। बीते दिनों 44 साल की उम्र में मोहक व्यक्तित्व व खेल प्रतिभा की धनी अंजू बॉबी जॉर्ज को यह सम्मान मिला तो खेल-प्रेमियों में आश्चर्य मिश्रित खुशी देखी गई। निश्चित रूप से यह अंजू के ऋषिकर्म का ही प्रतिफल था कि उन्हें देश-विदेश में सक्रिय खेलों को अलविदा कहने के डेढ़ दशक बाद भी इतना प्यार और सम्मान मिल रहा है।

दरअसल, आज वह लड़कियों के लिये प्रेरणापुंज बन गई हैं। वे न केवल खेलों के लिये प्रोत्साहित कर रही हैं, उन्हें प्रशिक्षित भी कर रही हैं बल्कि खेलों में लैंगिग समानता के लिये भी मुहिम की अग्रदूत हैं। यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि एक किडनी होने और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के बावजूद अंजू ने विश्वस्तरीय स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया और पदक भी जीते। दरअसल, अंजू बॉबी जॉर्ज लॉन्ग जंप की खिलाड़ी हैं और वे विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिये पदक जीतने वाली इकलौती खिलाड़ी हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में पेरिस में आयोजित हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में यह कामयाबी हासिल की थी।

दरअसल, अंजू को ‘वुमन ऑफ द ईयर खिताब’ मिलने में लैंगिक समानता के लिये उनकी मुहिम का भी बड़ा योगदान है। उन्होंने देश में महिला खिलाडिय़ों के लिये खेल का वातावरण तैयार करने और उन्हें खेलों में भाग लेने के लिये प्रेरित किया। वर्तमान में इंडियन एथलेटिक्स फेडरेशन की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अंजू ने स्कूल में खेल प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने का काम किया। अंजू ने वर्ष 2016 में लड़कियों के लिये एक ट्रेनिंग अकादमी खोली, जिसके जरिये अंडर-20 पदक विजेताओं को तैयार किया। उनकी मेहनत का ही फल है कि उनकी अकादमी ने देश को पहले ही विश्व अंडर-20 का पदक विजेता दे दिया। दरअसल, एक किडनी होने और उसके चलते होने वाली शारीरिक दिक्कतों के बावजूद अंजू का खेल करिअर चमकदार रहा। उन्होंने पेरिस में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप 2003 में कांस्य, वर्ल्ड एथलेटिक्स 2005 में स्वर्ण पदक जीता और वर्ष 2004 के ओलंपिक में पांचवें स्थान पर रहीं। अब वर्षों से वह खेल प्रतिभाओं को निखारने का काम कर रही हैं। सम्मान मिलने पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि हर रोज जागने और खेल को बढ़ावा देने से बेहतर कोई अहसास नहीं है, जिससे युवा लड़कियों को सक्षम और सशक्त बनाया जा सके।

दरअसल, अंजू बॉबी जार्ज के लिये खेल की दुनिया में संघर्ष भी कम नहीं था, लेकिन वह मुश्किलों में डटी रहीं और कभी हार नहीं मानी। उनके पास एक ही किडनी थी और खेलों के लिये उन्हें अतिरिक्त ऊर्जा जुटानी थी। उन्हें दवाओं से एलर्जी थी। इतना ही नहीं, दौड़ के दौरान उनके एक पैर में दर्द रहा करता था। एक बार पैर के टखने की चोट की वजह से उन्हें कई वैश्विक स्पर्धाओं से नाम वापस लेना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार न मानते हुए विश्व खेलों के मानचित्र में अपना नाम दर्ज कराया। वह 2003 में पेरिस की कामयाबी के अलावा 2005 के वर्ल्ड एथलेटिक्स में स्वर्ण, 2002 बुसान एशियाड में स्वर्ण, 2006 के दोहा एशियाई खेलों में रजत, 2005 एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण तथा 2007 की एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक तथा 2006 के साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहीं। आज तमाम महिला एथलीट उनके पथ का अनुसरण करते हुए देश का नाम रोशन कर रही हैं।

केरल के कोट्टायम जनपद के चंगनाशेरी कस्बे में 19 अप्रैल, 1977 को जन्मी अंजू को उनके पिता के.टी. मार्कोस व मां ग्रेसी ने उसके प्रतिभाशाली छात्रा होने के बावजूद खेलों के लिये प्रोत्साहित किया। अंजू का सौभाग्य था कि खेलों के लिये प्रोत्साहित करने वाले माता-पिता के अलावा खेलों के अनुकूल अच्छा स्कूल व प्रेरित करने वाले खेल शिक्षक मिले। तब भी केरल में खेल प्रतिभाओं को संवारने के लिये संसाधन व अनुकूल वातावरण मौजूद था। उन दिनों केरल की ही फर्राटा धाविका पी.टी. ऊषा की कामयाबी लड़कियों को खेल की दुनिया में आने के लिये प्रेरित करती थी। शुरुआत में अंजू ने सौ मीटर की बाधा दौड़, ऊंची कूद व लंबी कूद में अपनी किस्मत आजमाई। लेकिन कालांतर में लंबी कूद ही उनका पसंदीदा खेल बना। स्कूल एथलेटिक्स प्रतिस्पर्धा से शुरू हुआ उनके खेल का सफर जूनियर एशियन चैंपियनशिप से होता हुआ एशियाई खेलों, विश्व चैंपियनशिप तथा ओलंपिक तक जा पहुंचा। इसी बीच खेलों की दुनिया में एथलीट व मॉडल बॉबी जार्ज, अंजू के जीवन में सपनों के राजुकमार के रूप में आये। उन्होंने अंजू की प्रतिभा को निखारा और मुश्किल वक्त में उनका हौसला बढ़ाया। दोनों जीवनभर के रिश्ते में बंध गये। बॉबी ने उस वक्त अंजू को संबल व ट्रेनिंग दी जब टखने की चोट की वजह से अंजू का खेल करिअर समाप्ति की कगार पर था। तब अंजू सिडनी ओलंपिक के अलावा दो वर्ष तक किसी विश्व खेल स्पर्धा में भाग नहीं ले सकी थीं। बहरहाल, एक किडनी के साथ डेढ़ दशक तक खेलों में दमखम दिखाने वाली अंजू आज भी खेलों में किस्मत आजमाने वाली लाखों लड़कियों के लिये प्रेरणापुंज बनी हुई हैं।

RELATED ARTICLES

कमाल ख़ान के नहीं होने का अर्थ

मैं पूछता हूँ तुझसे , बोल माँ वसुंधरे , तू अनमोल रत्न लीलती है किसलिए ? राजेश बादल कमाल ख़ान अब नहीं है। भरोसा नहीं होता। दुनिया...

देशप्रेमी की चेतावनी है कि गूगल मैप इस्तेमाल न करें

शमीम शर्मा आज मेरे ज़हन में उस नौजवान की छवि उभर रही है जो सडक़ किनारे नक्शे और कैलेंडरों के बंडल लिये बैठा रहा करता।...

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को गंभीरता से लें

लक्ष्मीकांता चावला भारत सरकार और विश्व के सभी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों, सलाह और उसके द्वारा दी गई चेतावनी को बहुत गंभीरता से...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

केदारघाटी के उत्पादों को केदार ब्रांड बनाकर सुधारेंगे मातृशक्ति की आजीविकाः सीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि क्रीड़ा मैदान में लखपति दीदी अभियान-शक्ति को सम्मान कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर...

जन समीक्षा के बाद ही बने मूल निवास और मजबूत भू-कानून

देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि मूल निवास और भूमि कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप...

साम्प्रदायिकता ताकतों को जवाब देने के लिए उतरे सड़कों पर

देहरादून। देहरादून और राज्य के अन्य हिस्सों में बार-बार साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के प्रयासों के बीच रविवार को देहरादून में बड़ी संख्या में लोग...

देहरादून हाफ मैराथन में 1200 धावकों ने भाग लिया

देहरादून। थ्रिल ज़ोन द्वारा देहरादून हाफ मैराथन 2024 (11वां संस्करण) का आयोजित किया गया। जिसका फ्लैग-ऑफ सुबह 5.30 बजे आई टी पार्क, सहस्त्रधारा रोड...

Recent Comments