देहरादून। हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर स्थित देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड मेहमान परिंदों की अठखेलियों से गुलजार हो गया है। अभी तक झील में 3100 से अधिक प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा दिया है। हजारों किमी दूरी तय कर बैराज झील में पहुंचे प्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हैं।
सर्दियां बढ़ने पर इनकी संख्या पांच से छह हजार तक पहुंच जाती है। आसन बैराज में कार्यरत वन दारोगा एवं प्रवासी पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि 14 नवंबर तक झील में 18 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पक्षी डेरा जमा चुके हैं। इससे पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के चेहरे भी खिल उठे हैं। सबसे ज्यादा सुर्खाब अपनी तरफ ध्यान खींचते हैं। यहां पहुंचते ही इन पक्षियों के पंख सुनहरे हो जाते हैं जो कि यहा देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं। इन सुर्खाब पक्षियों की विशेषता यह है कि जब ये यहां पहुंचती हैं तो इनके पंख काले होते हैं और जब ये 12 घण्टे यहां रह जाते हैं तो पूरी तरह से सुनहरे हो जाते हैं। जैसे से ठंड बढ़ती है तो इनका रंग और अधिक गहरा हो जाता है।
झील में कॉमन कारमोरेंट, रुडी शेलडक यानी सुर्खाब, कामन पोचार्ड, कामन कूट, ग्रे लेग लिटिल इगरेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रिस्टेड वाटर हैन, कॉमन मोरेहन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्ड स्टॉक, स्पॉट बिल्ड डक व डुबकी मार बतख झील में अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं।
ठंड बढ़ने के साथ ही इनकी संख्या दुगनी होने की उम्मीद की जा रही है। उत्तराखंड आसन बैराज क्षेत्र के आरओ राजेंद्र हिंगवाण ने बताया कि आसन झील में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक पक्षियों के प्रवास की उम्मीद बंधी है। हरियाणा के हथनीकुंड व हिमाचल की सीमा यमुना घाट के आसपास तक भी प्रवासी परिंदे पहुंच जाते हैं।
पक्षियों की बढ़ती संख्या पर उत्तराखंड का वन महकमा भी मुस्तैद
हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर आसन बैराज स्थल है। आरओ राजेंद्र हिंगवाण ने बताया कि बैराज में मेहमान पक्षियों की बढ़ती संख्या पर उत्तराखंड का वन महकमा भी मुस्तैद हो गया है। झील के आसपास सुरक्षा व्यवस्था में इजाफा कर दिया है। सर्दियां बढ़ने पर पक्षियों की संख्या में तेजी से उछाल आता है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक उत्तराखंड चकराता वन प्रभाग की स्थानीय गणना टीम विदेशी परिंदों की गणना करेगी।