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उत्तराखंड

भारत का पहला पैड-फ्री विश्वविद्यालय बनाने के लिए सिरोना ने यूपीईएस  देहरादून के साथ हाथ मिलाया

देहरादून। सिरोना ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस), देहरादून के साथ मिलकर अपनी फैकल्टी और स्टाफ को पीरियड मैनेजमेंट से सम्बंधित मेंस्ट्रुअल कप अपनाने के फायदों के बारे में शिक्षित किया तथा यूनिवर्सिटी को भारत की पहली पैड-फ्री यूनिवर्सिटी बनाने की एक अहम् पहल की शुरुआत की। इस प्रोग्राम का नेतृत्व सिरोना हाइजीन फाउंडेशन के द्वारा किया गया जो कि ऐसी पहल पर ही काम करता है जो कि मासिक धर्म के बीच स्थायी मेंसुरेशन प्रथाओं को बढ़ावा देती है। फाउंडेशन की डॉ. आरुषि केहर मल्होत्रा ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और हाउसकीपिंग स्टाफ से बात करते हुए उन्हें स्थायी मासिक धर्म के महत्व के बारे में बताया कि किस प्रकार – यह लाइफ स्टाइल को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, साथ ही सैनिटरी से उत्पन्न होने वाले वेस्ट और पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को भी यह काफी हद तक कम करता है, इसके अलावा पीरियड मैनेजमेंट के लिए भी यह एक अत्यधिक किफायती विकल्प साबित होता है। सिरोना ने पहली बार वर्ष 2021 में विश्वविद्यालय के साथ सहयोग किया था, जब इसने विश्वविद्यालय में हाउसकीपिंग स्टाफ को “कपवेर्टेड” किया और उन्हें पीरियड मैनेजमेंट से सम्बंधित मेंस्ट्रुअल कप को जानने में मदद की। हालांकि अब इसके दूसरे चरण में सिरोना ने शिक्षकों और अन्य स्टाफ सदस्यों के साथ मिलकर कप्स को अपनाने का काम किया है। जिसमे कि अब तक, विश्वविद्यालय में पांच सौ व्यक्तियों को “कपवेर्टेड” किया जा चुका है। डॉ दिव्या रावत, असिस्टेंट प्रोफेसर, यूपीईएस, एवं प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर सिरोना, ने इस विकास पर बात करते हुए कहा कि, “पहला पैड-मुक्त विश्वविद्यालय बनाने के लिए सिरोना के साथ साझेदारी करना हमारे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के दृष्टिकोण का एक अहम् हिस्सा है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि हमारे शिक्षक तथा छात्र ही इस बदलाव के प्रमुख एम्बेसडर हैं, जो कि खुद को मेंस्ट्रुअल कप में  स्विच करने के अपने अनुभव को साझा कर एक व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं। हमारे विश्वविद्यालय ने सदैव ही उन पहलों का समर्थन किया है जो कि बड़े पैमाने पर अकादमिक कम्युनिटी एवं समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। इसके अलावा हम सिरोना के साथ अपने इस जुड़ाव को निरंतर जारी रखने और यूपीईएस में अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करने की उम्मीद करते हैं।” डॉ. दीक्षा एस चड्ढा, डायरेक्टर ऑफ़ स्पेशल प्रोग्राम, सिरोना ने कहा, “हम मानते हैं कि शिक्षक न केवल अपने छात्रों के लिए परिवर्तन के अग्रदूत हैं, बल्कि समाज के लिए भी अपने आप में एक इन्फ्लुएंसर हैं। कप से सम्बंधित उपयोग के बारे में उनकी चिंताओं को दूर करने के परिणामस्वरूप वे छात्रों तथा उनके दोस्तों एवं परिवारों के लिए निश्चित ही परिवर्तन के दूत साबित होंगे, जो कि आगे उनके जीवन में स्थायी मासिक धर्म के बदलाव के बारे में भी प्रचार करेंगे।” दीप बजाज, को-फाउंडर एंड सीईओ, सिरोना ने कहा, “सिरोना में हमारा प्रयास न केवल मासिक धर्म वालों को उनके अनसुलझे अंतरंग एवं मेंस्ट्रुअल हाइजीन से सम्बंधित मुद्दों को हल करने वाले इनोवेटिव प्रोडक्ट्स प्रदान करना है, बल्कि उन्हें  इस बात से भी अवगत कराने के लिए शिक्षा और जागरूकता का प्रसार करना है कि क्यों उन्हें मेंस्ट्रुअल कप्स जैसे मेंस्ट्रुअल हाइजीन की स्थायी, लागत प्रभावी प्रथाओं पर स्विच करने की आवश्यकता है।

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