हरिद्वार। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रव्रिंद्रपुरी महाराज ने उन्हें पुष्प अर्पित कर नमन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद वेदांत के विख्यात विद्वान और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। जिन्होंने अमेरिका में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया और भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में पहुंचाया। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जो आज भी सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज कल्याण में अपना सहयोग प्रदान कर रहा है। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ईश्वर के प्रतिनिधि थे और सब पर प्रभुत्व प्राप्त कर लेना ही उनकी विशेषता थी। वह केवल संत ही नहीं एक महान देशभक्त वक्ता विचारक लेखक और मानव प्रेमी थे।
उनका मानना था कि भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्य भूमि है तथा यही केवल आदि काल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केंद्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था और एक ऐसे समाज की कल्पना की थी। जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य आपस में कोई भेद ना रखें। समता के सिद्धांत का जो आधार स्वामी विवेकानंद ने दिया। उससे सबल बौद्धिक आधार शायद ही ढूंढा जा सके। स्वामी विवेकानंद के सामाजिक दर्शन और उनके मानवीय रूप का पूरा प्रकाश समाज एवं युवा पीढ़ी को अपनाकर अपने धर्म व संस्कृति के प्रति जागृत रहना चाहिए। संत महापुरुषों के महान विचार और कर्म अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करते रहेंगे। हम सभी को ऐसे ओजस्वी सन्यासी के आदर्श पूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर समाज एवं राष्ट्र हित में अपना जीवन समर्पित करना चाहिए।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि स्वामी विवेकानंद और जगतगुरु शंकराचार्य जैसे सन्यासियों के कारण भारत की पवित्र भूमि पूरे विश्व में एक अपना अलग स्थान रखती है। महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। युवा पीढ़ी को धर्म एवं संस्कृति के प्रति जागृत रहकर अपने जीवन के लक्ष्य को साधना चाहिए और देश की उन्नति में अपना परम सहयोग प्रदान करना चाहिए।