रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (आईआईटी रुड़की) और मेसर्स पर्मियोनिक्स ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़, वडोदरा, गुजरात, भारत ने एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह प्रौद्योगिकी प्रोफेसर सुजय चट्टोपाध्याय और भुवनेश ई, पॉलिमर और प्रोसेस इंजीनियरिंग, आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित की गई है। इंटरफ़ेस परत के साथ निर्मित कम लागत वाली प्रबलित द्विध्रुवी झिल्ली (मज़बूत बनाने वाली झिल्ली) नामक तकनीक को हाल ही में एक पेटेंट प्रदान किया गया है।
इस परियोजना को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, पर्मियोनिक्स मेम्ब्रेन्स प्राइवेट लिमिटेड और आईआईटी रुड़की के उच्चतर आविष्कार योजना कार्यक्रम के तहत वित्त पोषित किया गया है। इसका आविष्कार का उद्देश्य कम क्षमता पर उन्नत यांत्रिक,रासायनिक स्थिरता और उच्च जल पृथक्करण दक्षता के साथ एक सस्ती द्विध्रुवी झिल्ली विकसित करना है।
आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने एक पॉलीमेरिक बाइपोलर मेम्ब्रेन विकसित किया है जो औद्योगिक अपशिष्टों, आरओ रिजेक्ट्स आदि से उच्च मूल्य वाले रसायनों और डिमिनरलाइज्ड पानी को एक साथ फिर से प्राप्त कर सकता है, इस प्रकार शून्य तरल निर्वहन तकनीक के बेहतर परिणाम प्राप्त होते है। इसकी अनूठी विशेषताओं का उपयोग इलेक्ट्रोलाइज़र, ईंधन सेल और फ्लो बैटरी के माध्यम से हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है। इस प्रकार, इसमें वाणिज्यिक और घरेलू अनुप्रयोगों के लिए जबरदस्त गुंजाइश है। इस प्रौद्योगिकी (तकनीक) को मेसर्स पर्मियोनिक्स ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़, वडोदरा, गुजरात, भारत को इसका लाइसेंस दिया गया है।
कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, सत्यजय मेयर, प्रबंध निदेशक, पर्मियोनिक्स ने कहा, “यह तकनीकी नवाचार प्रक्रिया का एक आंतरिक हिस्सा है, और हम प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए आईआईटी रुड़की के आभारी हैं, जिसका उपयोग कचरे से संसाधनों को पुनप्र्राप्त करने के लिए भी किया जाएगा जो औद्योगिक अनुप्रयोग में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए
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