बीरोखाल हादसाः एक ही गांव से निकली चार अर्थियां
पौड़ी। बीरोखाल बस हादसे में रसूलपुर गांव के चार ग्रामीणों की मौत हुई है। इनमें मामा, मामी, भांजे की अर्थी एक घर से उठी। जबकि चैथा एक परिवार का सदस्य है। तीसरे दिन शवों के पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने गमगीन माहौल में मृतकों का अंतिम संस्कार कर दिया है।
कोटद्वार बीरोंखाल के सिमड़ी में बस हादसे में वाहन चालक समेत 33 बरातियों की मौत हो गई जबकि 19 लोग घायल हो गए। बुधवार देर शाम तक सिमड़ी में पूर्वी नयार नदी की खाई (200 मीटर खाई) से पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवानों ने 31 शव निकाले। सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए रिखणीखाल अस्पताल में भेजा गया। पोस्टमार्टम के दौरान 24 शवों की शिनाख्त कर ली गई। देर शाम तक शिनाख्त कराने के प्रयास जारी हैं। हादसे का कारण प्रथम दृष्टया ओवरलोडिंग माना जा रहा है।लालढांग से गई बरात में रसूलपुर गांव से पांच लोग गए थे। सभी दूल्हे के रिश्तेदार हैं। इनमें चार लोगों की मौत हादसे में मौत हो चुकी है। केवल एक चार साल की बच्ची शिवानी ही गांव से गए बरातियों की बस हादसे से सुरक्षित बची है। मृतकों में दूल्हे के रिश्तेदार मुकेश पुत्र छोटेलाल 36 वर्ष हैं। जबकि गुड़िया पत्नी अनिल 29 वर्ष, गुड़िया के जेठ संगीत पुत्र भूरानाथ 36 वर्ष और संगीत का भांजा पंकज पुत्र गोविंद है।बृहस्पतिवार सुबह करीब 8.30 बजे गांव में एक साथ चार शवों के पहुंचते ही परिजनों में हाहाकार मच गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों और ग्रामीणों की ओर से तीन शवों को हरिद्वार के चंडीघाट श्मशान घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। जबकि मुकेश को नदी किनारे भू-समाधि दी गई है। रसूलपुर के ग्रामीणों ने बताया कि मुकेश अविवाहित थे और वह पहले ही अपनी मौत के बाद अंतिम संस्कार करने की बजाय समाधि देने की बात कहते थे। मुकेश एक संप्रदाय विशेष से जुड़े था। ग्रामीणों ने बताया कि पहले उन्हें चंडी घाट श्मशान घाट की तरफ अंतिम संस्कार करने के लिए चल दिए थे लेकिन फिर एक युवक ने यह बात उन्हें बताई। इसके बाद मुकेश को वहां न ले जाकर भू-समाधि देकर उनकी अंतिम इच्छा पूरी की गई।