हरिद्वार। देवर्षि नारद जी को जिस प्रकार फिल्मों में दिखाया गया वह बहुत ही निराशाजनक रहा, एक हास्य,चुगलखोर के रूप में नारद जी की छवि को खराब किया गया है। नारद जी मन की गति से भ्रमण करते हुए सदा लोक कल्याण की नीति पर चलते रहे।यह विचार टीवी पैनलिस्ट व दिल्ली विवि के प्रो.डॉ. संगीत रागी ने प्रेस क्लब सभागार में आयोजित नारद जयंती समारोह में व्यक्त किए।
डॉक्टर संगीत रागी ने कहा कि आज की पत्रकारिता पर बोलते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता एक बाजार का विषय है, जितने टीवी हैं वो सब बाजारू है सूचना कितनी जल्दी पहुंचे, कितनी आकर्षित हो, इस पर सब काम कर रहे,लोगो को वो आकर्षित कर सके यह उनका सोचना है। वह पूर्ण रूप से बाजारू हो चुके हैं, बड़े बड़े पत्रकार मोटी मोटी रकम लेते हैं, पहले के पत्रकार पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में मानते थे, पहले राष्ट्र भक्ति ही पत्रकारिता का लक्ष्य था लेकिन वो सब बाजार की व्यवस्था से खत्म हो चुकी है, पत्रकारिता का धर्म सूचनाओं का संप्रेषण है, आज पत्रकारिता में एक ही खबर की अनेक हेडलाइन होती हैं , लोग अपने हिसाब से खबरों का अर्थ बताते हैं। सबकी अलग अलग सोच होती है और वो अपने हिसाब से खबरों को लोगो के सामने दिखाते हैं, कोई भी नीति तब तक सफल नहीं होती जब तक जनता की भागीदारी न हो, कुछ लोग पॉजिटिव दिखाते हैं, कुछ नेगेटिव, तब आपकी अपनी सोच उस तथ्य से मिल जाती है और वो तथ्य तथ्य नहीं रह जाता, टीबी चैनल की सोच पूरे भारत की सोच नही हो सकती। टीवी डिबेट से खुद की सोच को प्रभावित नही करना चाहिए, आप की अपनी सोच होती चाहिए।
सृष्टि के प्रथम लोक कल्याणकारी पत्रकार थे देवर्षि नारदः डॉ. संगीत रागी
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