नई दिल्ली। अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (डीएएमईपीएल) ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। डीएएमईपीएल ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) जानबूझकर 4,600 करोड़ रुपये से अधिक के मध्यस्थ फैसले के निष्पादन में देरी कर रहा है। इस वजह से करदाताओं को हर दिन लगभग 1.75 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना पड़ रहा है। मंगलवार को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के स्टॉक में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के स्टॉक की कीमत करीब 5 फीसदी लुढक़ कर 100 रुपए से नीचे के भाव पर आ गई है।
डीएएमईपीएल के मुताबिक डीएमआरसी सिर्फ 1642.69 करोड़ रुपये के संबंध में बैंक खाते का सीमित विवरण देकर पूरी प्रक्रिया को निष्फल बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि उसे अपने सभी बैंक खातों का ब्यौरा देने का निर्देश है। याचिका में दावा किया गया कि डीएमआरसी ने दिसंबर में दायर एक हलफनामे में 5800.93 करोड़ रुपये के कुल उपलब्ध धन का खुलासा किया।
मध्यस्थता पंचाट ने डीएमआरसी को आदेश दिया था कि वह डीएएमईपीएल को 4,600 करोड़ रुपये का भुगतान करे। इस बारे में डीएमआरसी की तरफ से दायर तमाम याचिकाएं निरस्त हो चुकी हैं। उच्चतम न्यायालय ने भी गत 23 नवंबर को अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की अनुषंगी इकाई डीएएमईपीएल डीएमआरसी की एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के विकास से जुड़ी हुई थी। लेकिन बाद में वह संरचनात्मक खामियों का हवाला देते हुए इससे अलग हो गई थी। इसी सौदे की विवादित रकम का भुगतान किया जाना है।