रुड़की। लक्सर में सिखों के दसवें व अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह के जन्मदिवस को प्रकाशोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर लक्सर व आसपास के देहात क्षेत्र से आए सिख समाज के लोगों ने नगर कीर्तन निकाला। नगर कीर्तन में युवाओं के साहसिक करतब देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।
लक्सर व आसपास के देहात क्षेत्र में एक सप्ताह पहले से श्री गुरु गोविंद सिंह का प्रकाशोत्सव मनाने की तैयारियां चल रही थी। इसके लिए नगर के शुगर मिल स्थित गुरुद्वारा साहिब के साथ ही हस्तमौली, ऐथल, सुभाषगढ़ आदि में सभी जगह गुरुद्वारा साहिब को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। शुक्रवार को नगर व देहात से सिख समाज के हजारों लोग गुरुद्वारा साहिब पहुंचे और कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान गुरुद्वारे के ज्ञानी महेंद्र सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि सिख कौम की स्थापना ही धर्म की रक्षा के लिए हुई थी। गुरु गोविंद सिंह ने भी हमेशा अधर्म व अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उनके चारों साहिबजादे भी धर्म की राह पर ही शहीद हुए। उन्होंने विश्व को शांति और भाईचारे का संदेश दिया।
बाद में नगर कीर्तन निकाला गया। नगर कीर्तन में युवाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए साहसिक करतब की लोगों ने खूब प्रशंसा की। नगर कीर्तन में पंकज मक्कड़, गुरनाम सिंह चीमा, गुरनाम खालसा, जगदेव सिंह, परमिंदर सिंह, जगजीत सिंह, जसवीर सिंह, अमरजीत सिंह, हरजीत सिंह, सुखविंद्र सिंह कलसी, जगराज सिंह चीमा, कुलवीर सिंह, जपप्रीत सिंह, गुरदीप सिंह, रणजीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, बलजीत सिंह, नारायण सिंह, सुशील शर्मा, जगराज सिंह जस्सन, सर्वजीत सिंह, मनमोहन सिंह, मनिंदर सिंह, सुखविंदर सिंह, हरजीत सैनी, नितिन कुमारा, पंकज कुमार, श्रेय कालड़ा, दलजीत सिंह, उदय सिंह, महेंद्र सिंह दिगवा, जितेंद्र सिंह आदि का सहयोग रहा।