वित्तीय समावेशन में समृद्धि की राह
जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में 8 नवंबर को भारतीय स्टेट बैंक इकोरैप द्वारा प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे है। वित्तीय समावेशन अभियान के तहत गरीब और वंचित वर्ग के लिए खोले गए जनधन खातों की संख्या 20 अक्तूबर, 2021 तक 1.46 लाख करोड़ रुपये जमा के साथ 43.7 करोड़ तक पहुंच गई है। इनमें से लगभग दो-तिहाई ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। इनमें से 78 प्रतिशत से अधिक खाते सरकारी बैंकों के पास हैं। शोध से यह भी पता चलता है कि जनधन योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की तस्वीर बदल दी है। जिन राज्यों में प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या ज्यादा है, वहां अपराध में गिरावट देखने को मिली है। यह भी देखा गया है कि अधिक बैंक खाते वाले राज्यों में शराब और तंबाकू उत्पादों जैसे नशीले पदार्थों की खपत में महत्वपूर्ण एवं सार्थक गिरावट आई है।
निस्संदेह भारत में गरीबों एवं कमजोर वर्ग के कल्याण को बढ़ाने के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) के तहत वित्तीय और बैंकिंग सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य, सब्सिडी, राशन, प्रशासन आदि बहुआयामी सुविधाएं सरलतापूर्वक पहुंचाए जाने का अभूतपूर्व अभियान दिखाई दे रहा है। विगत 25 सितंबर को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में पिछले सात वर्षों में वंचित वर्ग के लोगों को जनधन योजना के माध्यम से देश की बैंकिंग व्यवस्था में शामिल किया गया है। देश में जनधन, आधार और मोबाइल (जैम) के कारण आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। देश में जिस तरह 130 करोड़ आधार कॉर्ड, 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और जनधन बैंक खातों का विशाल एकीकृत बुनियादी डिजिटल ढांचे के माध्यम से गरीब वर्ग के करोड़ों लोगों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के साथ सशक्तीकरण का असाधारण कार्य पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है।
निश्चित रूप से देश में एक के बाद एक शुरू किए डिजिटल मिशन आम आदमी और अर्थव्यवस्था की शक्ति बनते जा रहे हैं। 26 अक्तूबर को 64,000 करोड़ रुपए निवेश योजना वाला आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन देश के करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य की खुशहाली का आधार बन सकता है। इस मिशन के तहत देश के प्रत्येक जिले में औसतन 90 से 100 करोड़ रुपये स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर खर्च किए जाएंगे। इसके साथ-साथ डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए, जीवन को बेहतर बनाने की पूरी संभावनाएं प्रस्तुत कर रहा है। आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन देश भर के अस्पतालों के डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा और अस्पताल की प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। प्रत्येक नागरिक एक हेल्थ आईडी प्राप्त कर सकेगा और उनके स्वास्थ्य का लेखा-जोखा डिजिटल रूप से संरक्षित किया जाएगा। यह पहल समाज के गरीब और मध्य वर्ग की चिकित्सा संबंधी दिक्कतों को दूर करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।